मार्च 27, 2020

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प्रसिद्ध वैज्ञानिक फ्रैंक प्लमर ने सऊदी SARS कोरोना वायरस पर अध्ययन किया और विनीपेग आधारित लैब में कोरोना वायरस (HIV) वैक्सीन पर भी काम कर रहे थे| यह वही लैब है जहाँ से चीनी जैव युद्ध एजेंटों द्वारा कोरोना वायरस की तस्करी की गयी थी| डॉ प्लमर की रहस्मय परिस्थितियों में मौत हो गयी| फ्रैंक प्लमर विनीपेग की राष्ट्रीय माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला में चीनी जैविक जासूसी मामले की एक अहम् कड़ी थे।

फ्रैंक प्लमर हत्या - कोरोनावायरस जांच की अहम् कड़ी
फ्रैंक प्लमर हत्या – कोरोनावायरस जांच की अहम् कड़ी

CBC के अनुसार 67 वर्षीय डॉ प्लमर उस वक़्त केन्या में चल रही HIV/AIDS/STI में अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए नैरोबी विश्वविद्यालय के सहयोगी केंद्र की वार्षिक बैठक के एक मुख्य वक्ता थे| लैरी गेलमोन जोकि इस बैठक के मुख्य संयोजकों में से एक थे, बताते हैं कि बैठक के दौरान प्लमर अचानक से गिर पड़े और उन्हें नैरोबी में अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्हें मृत घोषित करार दिया गया|

अभी तक म्रत्यु के कारण की पुष्टि नहीं हुई है| प्लमर का जन्म व पालन पोषण सब विनीपेग में ही हुआ था यहीं उन्होंने कई वर्षोतक कनाडा की नेशनल माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला का नेतृत्व भी किया|

जब पूरी दुनिय को HIV/AIDS के बारे में पता भी नहीं था उसके पहले से डॉ प्लमर मैनिटोबा विश्वविद्यालय और नैरोबी विश्वविद्यालय के बीच हुई एक आधुनिक अनुसंधान साझेदारी का हिस्सा थे|

मैनिटोबा विश्वविद्यालय में मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी और संक्रामक रोग विभाग में एक प्रोफेसर ‘कीथ फोवके’ बताते हैं कि “डॉ प्लमर का शुरुआती दिनों में HIV संचरण में शामिल होने वाले कई प्रमुख कारकों की पहचान करने में अहम् योगदान रहा है|”

प्लमर के सहकर्मी डॉएलन रोनाल्ड बताते हैं कि, डॉ प्लमर को यह उम्मीद थी कि लगभग पिछले 30 सालों से वह जिस रास्ते पर चल रहे थे वो HIV वैक्सीन की खोज के साथ समाप्त हो जाएगा|

हालांकि CBC रिपोर्ट में इसका उल्लेख नहीं किया गया है कि, प्लमर ने कनाडा के विनीपेग में उसी नेशनल माइक्रोबायोलॉजी लैबोरेटरी (N.M.L.) में काम किया, जहां से चीनी जैव युद्ध एजेंट ज़ियांगू किउ और उनके सहयोगियों ने चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में SARS कोरोनावायरस की तस्करी की|

जैसा कि ग्रेटगेमइंडिया ने कोरोनावायरस बायोवैपन पर अपनी विशेष रिपोर्ट में बताया, कि असल में वैज्ञानिक निदेशक डॉ फ्रैंक प्लमर ने N.M.L. विनीपेग लैब में सऊदी रोगी के, SARS कोरोना वायरस को डॉ रान फुचियर से प्राप्त किया था, जो कि इरास्मस मेडिकल सेंटर (EMC) रॉटरडैम, नीदरलैंड के एक प्रमुख विषाणुविज्ञानी थे। जिसे यह वायरस मिस्र के वायरोलॉजिस्ट डॉ अली मोहम्मद जकी द्वारा भेजा गया था, जिन्होंने सऊदी रोगी के फेफड़ों से अज्ञात प्रकार के कोरोनावायरस की पहचान कर उसे अलग किया था|

फुचियर ने जकी द्वारा भेजे गए एक नमूने से एक व्यापक-स्पेक्ट्रम “पैन-कोरोनावायरस” वास्तविक समय पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) विधि का उपयोग करके वायरस को अनुक्रमित किया, जो मनुष्यों को संक्रमित करने के लिए जाने जाने वाले कई कोरोना वायरस की विशिष्ट विशेषताओं के परीक्षण के लिए एक व्यापक विधि है|

यह कोरोनावायरस नमूना 4 मई 2013 को डच लैब से कनाडा की N.M.L. विनीपेग की निगरानी में पहुंचा। जिसे वहां फ्रैंक प्लमर द्वारा प्राप्त किया गया| कनाडाई लैब ने इसका उपयोग कनाडा में होने वाले निदानकारी ​​परीक्षणों का आंकलन करने के लिए किया। विनीपेग वैज्ञानिकों ने यह देखने के लिए काम किया कि किस पशु की प्रजाति नए वायरस से संक्रमित हो सकती है।

यह रिसर्च कनाडाई खाद्य निरीक्षण एजेंसी की राष्ट्रीय प्रयोगशाला के साथ मिलकर की गयी थी| जो कि नेशनल सेंटर फॉर फॉरेन एनिमल डिजीज है, और वह राष्ट्रीय माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला के साथ समान परिसर में स्थित है।

इस विनीपेग आधारित कनाडाई लैब को चीनी एजेंटों द्वारा टारगेट किया गया था, जिसे जैविक जासूसी कहा जा सकता है। कथित तौर पर इस वायरस को कनाडाई लैब से चाइनीज जैव युद्ध एजेंट ज़ियांगू किउ और उसके सहयोगियों ने चुराया था और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में तस्करी की गई थी, यह माना जाता है कि यहीं से वायरस लीक किया गया था|

इसके अलावा, फ्रैंक प्लमर HIV वैक्सीन पर भी काम कर रहे थे और हाल ही में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार भारतीय वैज्ञानिकों को वुहान कोरोनावायरस में HIV जैसे इंजेक्शन भी मिले हैं| जिसके बाद भारतीय वैज्ञानिको को सोशल मीडिया विशेषज्ञों द्वारा बड़े पैमाने पर ऑनलाइन आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था| और फिर उन्हें अपने अध्ययन को मजबूरन बंद करना पड़ा था| जिसके जवाब में अब भारतीय अधिकारियों ने चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के खिलाफ एक जांच शुरू कर दी है। हालांकि यह ध्यान देने योग्य बात है कि अब चीन ने कोरोनावायरस को ठीक करने के लिए HIV वैक्सीन का उपयोग करना शुरू किया है

फ्रैंक प्लमर कोरोनोवायरस बायोवैपन की उत्पत्ति पर संपूर्ण जांच की एक अहम् कड़ी थे| लेकिन क्या कनाडा सरकार डॉ प्लमर की मौत के मामले की जांच करवाएगी? अपने अमेरिकी समकक्षों के विपरीत जिन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से घातक वायरस की तस्करी करने की कोशिश करने वाले चीनी जैव युद्ध एजेंटों पर आरोप लगाया है| विनीपेग जैविक जासूसी मामले पर कनाडाई जांच के डिटेल्स को गोपनीयता के साथ बदल दिया गया है।

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