एक एलआईसी एजेंट की जांच ने भारत के सबसे बड़े COVID-19 परीक्षण घोटाले का पर्दाफाश किया, जहां हरियाणा स्थित एक एजेंसी ने कुंभ के दौरान 1 लाख से अधिक COVID-19 परीक्षण नकली रिपोर्ट बनाए।
कुंभ के दौरान किए गए परीक्षणों की कम से कम 1 लाख कोविड -19 रिपोर्ट फर्जी पाई गई है। एक विस्तृत सरकारी जांच से यह पता चला है कि कुम्भ के दौरान कोविड-19 परीक्षण में लगी एक निजी एजेंसी ने फर्जी रिपोर्ट तैयार की थी।
इन रिपोर्ट्स में कहा गया है कि एजेंसी ने लोगों को रजिस्टर करने के लिए फर्जी फोन नंबरों और पतों का इस्तेमाल किया था ।
ये सब तब सामने आया जब पंजाब के एक बीमा एजेंट ने उस एसएमएस की जांच शुरू की जो उसे सैंपल के बाद आया था| उस मैसेज के अनुसार उसकी COVID-19 की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी।
और सबसे मजे की बात यह है कि बीमा एजेंट विपन मित्तल ने ऐसा कोई टेस्ट करवाया ही नहीं था तो फिर उसके नंबर पर मैसेज आने का कोई सवाल ही नहीं बनता।
फिर क्या था मित्तल साहब ने इसकी जांच करने की ठानी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को एक ईमेल भेजा| उस ईमेल में उन्होंने पुछा कि जब उन्होंने कोई टेस्ट ही नहीं करवाया तो फिर उनके नंबर पर रिपोर्ट कैसे आ गयी| हालाँकि इस बात का उनके पास कोई रिप्लाई नहीं आया जिसके बाद इसके जवाब के लिए उन्होंने RTI आवेदन कर दिया।
जिसके बाद ICMR से जवाब आया कि उनका मोबाइल फोन नंबर हरिद्वार में एक COVID-19 टेस्ट के लिए रजिस्टर किया गया था और जबकि मित्तल साहब हरिद्वार कभी गए ही नहीं।
इसके बाद ICMR ने मामले को आगे बढ़ाते हुए इस शिकायत को उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया| जहां उन्हें पता चला कि हरियाणा की एक एजेंसी, जोकि परीक्षण करने वाली 8 कम्पनियों में से एक थी और उसने कथित तौर पर लाखों फर्जी परीक्षण किये| जिसमें वह पंजीकरण के लिए फर्जी मोबाइल नंबर और पते का इस्तेमाल कर रहे थे|
और अब मामला तूल पकड़ते देख COVID-19 परीक्षण के लिए अनुबंधित अन्य सभी एजेंसियों की अब जांच भी की जा रही है।
हालाँकि मित्तल कहते हैं कि उनकी चिंता समाप्त नहीं हुई है| और वह यह पता लगान चाहते हैं कि आखिर उनका व्यक्तिगत डेटा कैसे चुराया गया और कैसे इस घोटाले में इस्तेमाल किया गया|
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेशानुसार राज्य को हरिद्वार में कम से कम 50,000 दैनिक परीक्षण करने का आदेश देने के बाद कुंभ उत्सव के दौरान 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच “परीक्षण” किए गए थे।
जांच में पता चला कि नाम और पता फर्जी था। कई लोगों ने एक ही फोन नंबर और एक बार इस्तेमाल के लिए बनाए गए एंटीजन टेस्ट किट शेयर किए।
यह फर्जीवाड़ा इतना बड़ा है कि जो राजस्थान के छात्र और निवासी कभी कुंभ नहीं गए थे, उन्हें भी सैंपल संग्राहक के रूप में दिखाया गया है। राज्य ने आठ नमूना संग्रह एजेंसियों की मदद से मेला अवधि के दौरान हरिद्वार में कुल चार लाख परीक्षण किए थे। हालाँकि अन्य सभी एजेंसियां भी अब जांच के घेरे में हैं।
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