भारत के स्वास्थ्य मंत्री ने हाल ही में G7 शिखर सम्मेलन से पहले वैक्सीन पासपोर्ट के विचार का विरोध किया था। हालाँकि, चुपचाप भारत सरकार ने अपने COVID-19 वैक्सीन प्रमाणपत्र को अपने पासपोर्ट से लिंक करने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
भारत के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा था कि भारत कोरोनोवायरस महामारी के बीच विदेशों की यात्रा के लिए “वैक्सीन पासपोर्ट” लागू करने के खिलाफ है।
हर्षवर्धन G7 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में बोल रहे थे, जहां भारत को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
Expressed India’s concern & strong opposition to ‘Vaccine Passport’ at this juncture of the #pandemic With vaccine coverage as a % of population in developing countries still low compared to developed countries, such an initiative could prove to be highly discriminatory.@ जी7 pic.twitter.com/zh6nhkEfbv
– डॉ हर्षवर्धन (@drharshvardhan) 4 जून 2021
या तो मंत्री जी को पता नहीं है या फिर पूरी दुनिया के सामने वह झूठ बोल रहे है। क्योंकि भारत सरकार ने पहले ही वैक्सीन पासपोर्ट लागू करने की योजना बना ली है ।
सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि CoWIN वैक्सीन सर्टिफिकेट अब पासपोर्ट से जुड़ेंगे| शिक्षा, काम या टोक्यो ओलंपिक के लिए भारतीय दल के हिस्से के रूप में अंतरराष्ट्रीय यात्रा की योजना बना रहे लोगों के लिए वैक्सीन प्रमाणपत्र को पासपोर्ट से जोड़ना पड़ेगा।
नए नियम में विशिष्ट मामलों में कोविशील्ड की दूसरी खुराक के शीघ्र प्रबंधन के लिए भी प्रावधान किया गया है, जहां यात्रा की तारीख 84 दिनों के अंतराल की अवधि से पहले आती है।
#CoWIN certificates to be linked to Passport of such Travelers
Mention of vaccine type as “Covishield” is sufficient; no other qualifying entries required in Vaccination Certificates
यहां पढ़ें: https://t.co/SYcUy5cgdG
– पीआईबी इंडिया (@PIB_India) 7 जून, 2021
जैसा किग्रेटगेमइंडिया द्वारा पहले ही रिपोर्ट किया गया है कि महामारी के प्रकोप से 20 महीने पहले ही ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ की अवधारणा को क्रियान्वितत करने की योजना शुरू हो गयी थी|
ये जिस रोडमैप के बारे में बात कर रहे हैं वह सिर्फ कुछ दस्तावेज नहीं है जो आपके प्रवेश या चाल को कुछ स्थानों तक सीमित कर देगा। वे एक संपूर्ण COVID इको-सिस्टम की कल्पना कर रहे हैं|वे एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर रहे है, जहाँ आपके जीवन के प्रत्येक पहलू की निगरानी की जाएगी| दुसरे शब्दों में कहें तो इन फार्मा अधिपतियों की सनक और कल्पना के मुताबिक वह हमारी जीवन शैली को पूरी तरह काबू करने की सोच रखते है।
इस टीके और टीकाकरण के लिए वैश्विक गठबंधन (जीएवीआई) एजेंडा को लागू करने के लिए पिछले साल डॉ हर्षवर्धन को बोर्ड के लिए नामित किया गया था|
Honoured to have been nominated on the board of@gavi
I hope to contribute to the alliance’s endeavours for ensuring equitable distribution of COVID-19 vaccines, improving access to other vaccines for vulnerable children & boosting economies of low-income countries.@PMOIndia https://t.co/p7lNPVpTvq
– डॉ हर्षवर्धन (@drharshvardhan) 30 दिसंबर, 2020
डॉ. हर्षवर्धन जीएवीआई बोर्ड में दक्षिण पूर्व क्षेत्र क्षेत्रीय कार्यालय (एसईएआरओ)/पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रीय कार्यालय (डब्ल्यूपीआरओ) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह सीट वर्तमान में म्यांमार के मिस्टर माइंटह्वे के पास है। डॉ. हर्षवर्धन 1 जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2023 तक भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
GAVI बोर्ड रणनीतिक दिशा और नीति-निर्माण के लिए जिम्मेदार है, वैक्सीन एलायंस के संचालन की देखरेख करता है और कार्यक्रम के कार्यान्वयन की निगरानी करता है। कई साझेदार संगठनों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों से ली गई सदस्यता के साथ, बोर्ड रणनीतिक निर्णय लेने, नवाचार और साझेदार सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करता है।
हम पहले ही विस्तार से चर्चा कर चुके हैं कि कैसे ब्रिटिश नेतृत्व वाले GAVI भारत की स्वास्थ्य सेवा नीति-निर्माण में घुसपैठ करने में कामयाब रहा है। जिससे कोरोनोवायरस के लिए भारत की प्रतिक्रिया को निर्धारित करने के लिए एक रणनीतिक स्थिति प्राप्त हुई है।
डॉ हर्षवर्धन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ भारत में WHO की COVID-19 निगरानी परियोजना की भी देखरेख करते हैं।
Watch Deferred Live !! Dr Harsh Vardhan, Union Health Minister, interacts with @WHO field officers for #COVID19 containment strategy. Meeting via Video Conference from Nirman Bhawan, New Delhihttps://t.co/zId9YTHWOB
– डॉ हर्षवर्धनऑफिस (@DrHVoffice) 15 अप्रैल, 2020
पूर्ण पैमाने पर निगरानी के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग भारत में रोकथाम के लिए भविष्य की भारतीय रणनीति बनाने के लिए किया जाएगा। संयोग से, डब्ल्यूएचओ की राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी परियोजना उसी दिन शुरू की गई है जिस दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने WHO द्वारा बार-बार की जा रही भूलों की कभी न खत्म होने वाली सूची के संबंध में WHO की फंडिंग पर रोक की घोषणा की थी।
डॉ हर्षवर्धन भी बिल गेट्स की अवधारणा पर आधारित भारत का अनिवार्य डिजिटल स्वास्थ्य कार्ड की देखरेख करते हैं। ‘वन नेशन वन हेल्थ कार्ड’ योजना के तहत, एक व्यक्ति का मेडिकल इतिहास रिकॉर्ड, जिसमें उस व्यक्ति के सभी उपचार और परीक्षण शामिल हैं, इस कार्ड में डिजिटल रूप से सहेजे जाएंगे।
वैक्सीन पासपोर्ट से वास्तव में किसे लाभ होगा?
इन वैक्सीन पासपोर्ट परियोजनाओं का प्रमुख लाभार्थी बहुराष्ट्रीय दवा उद्योग होगा, न कि आम आदमी।
इसके अलावा, आम लोगों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा करने या यहां तक कि एक फिल्म देखने के लिए खुद को फिट साबित करने के लिए अपने मेडिकल रिकॉर्ड को साझा करना होगा।
इन फार्मास्युटिकल दिग्गजों का अनुमानित कारोबार अकेले 2021 में 1.5 ट्रिलियन डॉलर का है।
जैसे ही अमेरिकी के नए राष्ट्रपति बने, नए यात्रा प्रतिबंधों को लागू करते हुए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया गया और COVID-19 वैक्सीन पासपोर्ट की व्यवहार्यता का परीक्षण शुरू हो गया।
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